Gopal Gupta

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नज्म -ऐ - हयात

      नज्म -ऐ - हयात 

जुस्तुजू भी है नहीं, आरज़ू भी है नहीं।
'आशिक़ी भी है नहीं ,मौसीक़ी भी है नहीं।।
ये सफ़र कुछ भी नहीं ,मंजिलें कुछ भी नहीं।
दर्द-ए -दिल प्यारे ग़ज़ल मे और ग़ज़ल कुछ भी नहीं।।

जिस को सुन कर आह दीवाने ए ज़िन्दगी।
 वाह करते मस्त हो मस्ताने ए दोस्तो।।
ढूढते जिस मे हो तुम भी अपने आप को ।
दर्द-ए -दिल प्यारे ग़ज़ल मे और ग़ज़ल कुछ भी नहीं।।

जाम छलका छलका आँखों से है कुछ।
याद आया तुम को बीता कुछ न कुछ ।।
 जो नमी आँखों मे हैं बस वही हाँ बस वही।
दर्द-ए -दिल प्यारे ग़ज़ल मे और ग़ज़ल कुछ भी नहीं।।

कोशिशें अपनी कहू ऐसी ग़ज़ल।
कुछ बयां ग़ालिब के कुछ दुष्यंत सी
अंदाज़ राहत सा लिए मेरी ग़ज़ल वो।
हसरतें हैं मीर की मेरी ग़ज़ल वो।।
आह जो लब तक न पहुंची बस वही हाँ वही।
दर्द-ए -दिल प्यारे ग़ज़ल मे और ग़ज़ल कुछ भी नहीं।।


Gopal Gupta "Gopal "

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3 Comments

Mukesh Duhan

06-Jun-2023 11:06 PM

शानदार

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Sushi saxena

06-Jun-2023 03:21 PM

बहुत खूब

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